Spirituality is the acceptance of a sensation, sense, or conviction that transcends oneself, that there is more to being human than what is perceived with the senses, and that the larger total of which we are a part is cosmic or divine in nature.

स्वप्न और निद्रा – Science of Dreams in sleep

जब तक सपना चल रहा है, तब तक नींद पूरी नहीं है। तब तक जागने और नींद के बीच में आप भटक रहे हैं। सपना जो है, वह अर्ध निद्रा, अर्ध जागृत स्थिति है। सपने का मतलब है कि आँख तो बंद है, लेकिन आप सो नही गए हैं। बाहर की दुनियाँ के प्रभाव अभी काम कर रहे हैं। दिन में जिनसे मिले थे, अभी रात में भी उनसे मिलना जारी है। सपना बीच की जगह है। और हम में से बहुत लोग नींद से तो टूट गए हैं पर सपने में ही हैं, नींद तक पहुंचते ही नहीं हैं। ...

“बात छोटी सी है, परंतु मनन करने योग्य है”

छोटे थे, हर बात भूल जाया करते थे,तब दुनियां कहती थी कि, ‘याद करना सीखो’।बड़े हुए तो हर बात याद रहती है,दुनियां कहती है कि -‘भूलना सीखो’। एक प्राचीन मंदिर की छत पर कुछ कबूतर राजी-खुशी रहते थे। जब वार्षिकोत्सव की तैयारी के लिये मंदिर का जीर्णोद्धार होने लगा तब कबूतरों को मंदिर छोड़कर पास के चर्च में जाना पड़ा।चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के साथ राजी-खुशी रहने लगे।क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंग रोगन शुरू हो गया। अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में।किस्मत से पास के एक मस्जिद ...

ऊपर वाले की लीला

एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गावों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया उसने अपने मंत्री को कहा कि पता करो की इस गांव में कौन सा दर्जी हैं जो मेरे बटन को टांक सके।मंत्री ने पता किया उस गांव में सिर्फ एक ही दर्जी था जो कपडे सिलने का काम करता था। उसको राजा के समाने ले जाया गया राजा ने कहा, “कि तुम मेरे कुर्ते का बटन टांक सकते हो” दर्जी ने कहा, “यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है”उसने मंत्री से बटन ले लिया, धागे ...

पूछा जाता है कि आत्मा को कैसे पाएं, ब्रह्मा-उपलब्धि कैसे हो सकती है?

ओशो कहते हैं- आत्मा को पाने की बात ही मेरे देखे गलत है। वह प्राप्तव्य नहीं है। यह तो नित्य प्राप्त है। वह कोई वस्तु नहीं, जिसे लाना है। वह कोई लक्ष्य नहीं, जिसको साधना है। वह भविष्य नहीं है कि उस तक पहुंचना है। वह है। ‘है’ का ही वह नाम है। वह वर्तमान है-नित्य वर्तमान। उसमें अतीत और भविष्य नहीं है। उसमें ‘होना’ नहीं है। वह शुद्ध नित्य अस्तित्व है। फिर खोना किस स्तर पर हो गया है या खोने के आभास और पाने की प्यास कहां आ गई है? मैं को समझ लें तो जो आत्मा खोई ...

ध्यानी का भोजन

एक बहुत बडे डॉक्टर केनेथ वाकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ‘मैं अपने जीवन-भर के अनुभव से यह कहता हूं कि जो लोग जो भोजन करते हैं, उसमे से आधे भोजन से उनका पेट भरते हैं और आधे भोजन से हम डॉक्टरों का पेट भरता है। अगर वे आधा भोजन करें तो वे बिमार ही नहीं पडेंगे, और हम डॉक्टरों की कोई जरूरत न रह जायेगी’। भोजन के प्रति गलत नजरिए हमारे लिए खतरनाक बनते जा रहे हैं। ये बहुत महंगे साबित हो रहे हैं। ये हमें ऐसी स्थिति में ले जा चुके हैं जहां हम बस किसी ...

ध्यानी का आहार

मनुष्य अकेली प्रजाति है जिसका आहार अनिश्चित है। अन्य सभी जानवरों का आहार निश्चित है। उनकी बुनियादी शारीरिक जरूरतें और उनका स्वभाव फैंसला करता है कि वे क्या खाते हैं और क्या नहीं, कब वे खाते हैं और कब उन्हे नहीं खाना चाहिए। किंतु मनुष्य का व्यवहार बिल्कुल अप्रत्याशित है, वह बिल्कुल अनिश्चतता में जीता है। न ही तो उसकी प्रकृति उसे बताती है कि उसे कब खाना चाहिए, न उसकी जागरुकता बताती है कि कितना खाना चाहिए और न ही उसकी समझ फैंसला कर पाती है कि उसे कब खाना बंद करना है। अब जब इनमें से कोई भी ...

स्वर्णिम प्रकाश ध्यान

श्वास भीतर लेते हुए स्वर्णिम प्रकाश को सिर से अपने भीतर आने दो, क्योंकि वहीं पर ही स्वर्ण-पुष्प प्रतीक्षा कर रहा है। वह स्वर्णिम प्रकाश सहायक होगा। वह तुम्हारे पूरे शरीर को स्वच्छ कर देगा और उसे सृजनात्मकता से पूरी तरह भर देगा। यह पुरुष ऊर्जा है… इसे दिन में कम से कम दो बार करो-सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह का है, ठीक तुम्हारे बिस्तर से उठने से पहले। जिस क्षण तुम्हें लगे कि तुम जाग गए, इसे कम से कम बीस मिनट के लिए करो। सुबह सबसे पहला यही काम करो!-बिस्तर से मत उठो। वहीं, उसी समय, तत्क्षण इस विधि ...

जहां चाह वहां राह

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि मन के दो भाग हैं- सचेतन मन और अवचेतन मन। सचेतन – मन में विचार चलते हैं। अवचेतन – मन का भाव है, संकल्पना का है। अवचेतन – मन का रिमोट कंट्रोल भी है। अपने सचेतन मन को कंट्रोल कैसे करें? आप अपने अनुसार मन को नचा सकते हैं। इसलिये इस विज्ञान का नाम है हिप्नोथरैपी, सम्मोहन चिकित्सा, जहां अवचेतन मन से परिचित करवाया जाता है, अवचेतन की गहराईयों में ले जाया जाता है। जहां जाकर अपने मन को कंट्रोल कर सकते हैं। यह जो अवचेतन है यह तुम्हारी अपनी ही गहराई है। तुम अपने भीतर ...