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स्वप्न और निद्रा – Science of Dreams in sleep

जब तक सपना चल रहा है, तब तक नींद पूरी नहीं है। तब तक जागने और नींद के बीच में आप भटक रहे हैं। सपना जो है, वह अर्ध निद्रा, अर्ध जागृत स्थिति है। सपने का मतलब है कि आँख तो बंद है, लेकिन आप सो नही गए हैं। बाहर की दुनियाँ के प्रभाव अभी काम कर रहे हैं। दिन में जिनसे मिले थे, अभी रात में भी उनसे मिलना जारी है। सपना बीच की जगह है। और हम में से बहुत लोग नींद से तो टूट गए हैं पर सपने में ही हैं, नींद तक पहुंचते ही नहीं हैं। यह दूसरी बात है कि सुबह तक आपको याद ना रह जाता हो कि रात भर सपना देखा।

लेकिन अमेरीका में उन्होंने कोई दस बडी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं, जिनमें कोई हजार आदमी दस वर्षों से निरंतर प्रयोगशालाओं में सो रहे हैं। उनका अध्ययन किया जा रहा है कि नींद क्या है? अमेरीका की उत्सुक्ता

इस समय नींद में इतनी है और इसलिए ध्यान में भी है। इसलिए कोई महेश योगी या कोई भी जाकर, जिनका ध्यान से कोई भी संबंध नहीं है, वे लोग भी जाकर अमेरीका में कुछ ट्रिक्स की बातें कर दें कि राम-राम राम-राम जपो, तो लाखों लोग सुनने को उत्सुक हैं।

वह नींद टूट गई है, इसलिए वे ध्यान में भी उत्सुक हैं। वे सोचते हैं शायद इससे भी नींद आ जाए, शांति आ जाए। इसलिए ध्यान उनको एक तरह का ट्रैक्वेलाइजर से ज्यादा नहीं है।

जब विवेकानंद ने पहली दफा अमेरीका में ध्यान की बात की, तो एक डॉक्टर ने आकर विवेकानंद को कहा कि मुझे तो आपके ध्यान से बडा आनंद आया। यह तो बिल्कुल नॉन-मेडिसनल ट्रैक्वाइजर है-बिना दवा की। नींद की दवा भी नहीं है और नींद भी आ जाती है। यह तो बहुत ही अच्छा है।

अमेरीका में जो आपके योगियों का प्रभाव पड रहा है उसका कारण योगी नहीं है, उसका कारण वहां नींद का खो जाना है। और कोई कारण नहीं है। वहां नींद एकदम खराब हो गई है, तो पूरा जीवन बोझिल और उदास और तनाव से भर गया है।

इसलिए ट्रैक्वेलाइजर का निरंतर बढता हुआ रूप सामने आ रहा है-किसी तरह नींद कैसे लाई जा सके। करोडों-अरबों रुपये का ट्रैक्वेलाइजर अमेरीका खर्च कर रहा है प्रति वर्ष।

दस बडी लेबोरेट्रीज़ बनाकर वहां हजारों लोगों को निरंतर सुलाया जा रहा है। सोने के पैसे दिए जा रहे हैं। सोने का उनका रात भर का पैसा होता है। क्योंकि रात भर उनकी नींद को कईं तरह की तकलीफें दी जाती हैं। सब तरफ इलेक्ट्रोड लगे रहते हैं बिजली के, हजारों वॉयर लगे रहते हैं शरीर में। सब तरफ से जांच चलती रहती है कि उनके भीतर क्या हो रहा है। एक सबसे अदभुत जो घटना उन प्रयोगों में आई है वह यह है कि करीब-करीब आदमी रात भर सपने देखता है। वह आदमी भी, जो सुबह कहता है कि मैंने कोई सपना नहीं देखा। फर्क स्मृति का है। जो आदमी सुबह कहता है कि मैंने सपना देखा, उसकी स्मृति ठीक है। और जो आदमी कहता है कि मैंने रात सपना नहीं देखा, उसकी स्मृति थोडी कमजोर है और कोई फर्क नहीं है। सारे लोग रात भर सपना देख रहे हैं। हां, ये अनुभव हुआ है कि दस मिनट के लिए पूर्ण स्वस्थ आदमी सपने से मुक्त हो जाता है।

अब सपने जांचे जा सकते हैं क्योंकि हमारे मस्तिष्क की जो नसें हैं, वे चलती रहती हैं। जब सपना बंद होता है तो वे बंद हो जाती है। उनके बंद हो जाने से मशीन खबर दे देती है कि गैप आ गया। अब यह आदमी सपना भी नहीं देख रहा है। यह आदमी कहीं खो गया। तो यह बडे मजे की बात है कि वह जो यंत्रों की उन्होने जांच-पडताल की है, उस जांच-पडताल से तब तक तो पता चलता है कि आदमी क्या कर रहा है जब तक सपने चलते हैं। जैसे ही सपने गए कि मशीन गैप बता देती है कि अब गैप हो गया। आदमी कहां गया, पता नहीं।

आप समझ रहे हैं! नींद का मतलब है आदमी कहीं ऐसी जगह चला जाता है कि मशीन नहीं पकड पाती। उसी गैप में आदमी परमात्मा में प्रवेश कर जाता है। वह जो अंतराल है, बीच की जो खाली जगह है, जो मशीन नहीं पकडती है। मशीन इतनी ही खबर देती है कि यहां तक पकडा, फिर इसके बाद घुप्प, आदमी कहीं खो गया। फिर दस मिनट के बाद आदमी कहां था, यह बताना मुश्किल है।

ओशो प्रवचन