Spirituality is the acceptance of a sensation, sense, or conviction that transcends oneself, that there is more to being human than what is perceived with the senses, and that the larger total of which we are a part is cosmic or divine in nature.

पाप कर्म और पुण्य कर्म की परिभाषा क्या है?

कर्म से तय नहीं होता, भीतर की भाव दशा से तय होता है। ऊपर-ऊपर से कर्म एक जैसे दिखाई पड़ते हैं, किंतु भीतर हमारी भावदशा, हमारा इरादा क्या है? हमारी दृष्टि क्या है? उस पर निर्भर होगा। हमने किस चैतन्य की अवस्था से वह कर्म किया, उससे निर्धारित होगा कि वह पाप है या पुण्य। ऊपर-ऊपर से तय नहीं किया जा सकता कि ऐसा-ऐसा करना पाप है कि वैसा-वैसा करना पुण्य है। कल ही रात को एक मित्र से चर्चा के दौरान मैं नसरुदीन का एक बडा मजेदार किस्सा सुन रहा था। नसरुदीन जिस देश में रहता था, बगदाद शरीफ ...

ईश्वर दुख क्यों देता है?

प्रत्येक इंसान सोचता है कि हम कर्म या भाग्य में किसे मानें। ओशो कहते हैं कि ‘किसी को भी नहीं, कुछ भी मानने की जरूरत नहीं है। जानने-पहचानने की आवश्यकता है। जानो और समझो, असल में दोनों अलग-अलग बातें नहीं हैं।हम कोई कर्म करते हैं, उसका परिणाम आता है यह तो सब जानते हैं। मैं आग में हाथ डालूंगा, मेरा हाथ जलेगा। कर्म का फल आएगा। इसे तो कोई सिद्ध करने की जरूरत नहीं। भाग्य हम कहते हैं सामुहिक कर्म के परिणाम को; क्योंकि इस दुनिया में अकेला मैं ही तो नहीं हूँ, और भी लाखों लोग हैं। व्यक्तियों के ...

नींद की कमी

दुनियाँ में कठिन से कठिन अगर कोई सजा हो सकती है, तो वह मौत की नहीं है। मौत की सजा तो सरल है, क्षण भर में हो जाती है। सबसे बडी सजाएं जिन लोगों ने इजाद की थी, वे सजाएं थी नींद न आने देने की। किसी व्यक्ति को नींद न आने देना सबसे बडी सजा है।तो आज भी चीन में या रूस में या हिटलर के जर्मनी में निरंतर कैदियों को जगाए रखने का उपाय किया जाता है। पंद्रह दिन किसी कैदी को न सोने दिया जाए, उसकी जो पीडादायक स्थिति हो जाती है, उसकी हम कल्पना भी नहीं ...

नींद में लगती है परमात्मा में डुबकी

ध्यान या साधना से मृत्यु पर विजय मिल सकती है, तो क्या वही स्थिति निद्रा में नहीं होती है? अगर होती है, तो निद्रा से मृत्यु पर विजय क्यों नहीं मिल सकती।? पहली बात तो ये समझ लेना जरूरी है कि मृत्यु पर विजय मिल सकती है, इसका यह अर्थ नही है कि मृत्यु है और हम उसे जीत लेंगे। मृत्यु पर विजय मिल सकती है, इसका इतना ही अर्थ है कि मृत्यु नहीं है, ऐसा हम जान लेंगे। मृत्यु का ना होना जान लेना ही मृत्यु पर विजय है। मृत्यु कोई है नहीं जिसे जीत लेना है। मृत्यु नहीं ...