जब तक सपना चल रहा है, तब तक नींद पूरी नहीं है। तब तक जागने और नींद के बीच में आप भटक रहे हैं। सपना जो है, वह अर्ध निद्रा, अर्ध जागृत स्थिति है। सपने
Read Moreछोटे थे, हर बात भूल जाया करते थे,तब दुनियां कहती थी कि, 'याद करना सीखो’।बड़े हुए तो हर बात याद रहती है,दुनियां कहती है कि -'भूलना सीखो’। एक प्राची
Read Moreएक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गावों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया उसने अपने मंत्री को कहा कि पत
Read Moreओशो कहते हैं- आत्मा को पाने की बात ही मेरे देखे गलत है। वह प्राप्तव्य नहीं है। यह तो नित्य प्राप्त है। वह कोई वस्तु नहीं, जिसे लाना है। वह कोई लक्ष्य
Read Moreएक बहुत बडे डॉक्टर केनेथ वाकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ‘मैं अपने जीवन-भर के अनुभव से यह कहता हूं कि जो लोग जो भोजन करते हैं, उसमे से आधे भोजन स
Read Moreमनुष्य अकेली प्रजाति है जिसका आहार अनिश्चित है। अन्य सभी जानवरों का आहार निश्चित है। उनकी बुनियादी शारीरिक जरूरतें और उनका स्वभाव फैंसला करता है कि वे
Read Moreश्वास भीतर लेते हुए स्वर्णिम प्रकाश को सिर से अपने भीतर आने दो, क्योंकि वहीं पर ही स्वर्ण-पुष्प प्रतीक्षा कर रहा है। वह स्वर्णिम प्रकाश सहायक होग
Read Moreमनोवैज्ञानिक कहते हैं कि मन के दो भाग हैं- सचेतन मन और अवचेतन मन। सचेतन - मन में विचार चलते हैं। अवचेतन - मन का भाव है, संकल्पना का है। अवचेतन - मन का
Read Moreकर्म से तय नहीं होता, भीतर की भाव दशा से तय होता है। ऊपर-ऊपर से कर्म एक जैसे दिखाई पड़ते हैं, किंतु भीतर हमारी भावदशा, हमारा इरादा क्या है? हमारी दृष्ट
Read Moreप्रत्येक इंसान सोचता है कि हम कर्म या भाग्य में किसे मानें। ओशो कहते हैं कि ‘किसी को भी नहीं, कुछ भी मानने की जरूरत नहीं है। जानने-पहचानने की आवश्यकत
Read More