Hast Mudra

हस्त मुद्रा चिकित्सा

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सुख, शांति, धन-दौलत और प्रतिष्ठा पाने के लिए सुबह-शाम भाग-दौड़ में लगा हुआ है। इतनी भाग-दौड़ के बाद केवल कुछ धन तथा झुठी प्रतिष्ठा मिलती है परन्तु ढ़ेर सारी मानसिक परेशानियां तथा शारीरिक समस्याएं मिलती हैं। धन पा लेने के बाद उसी धन से ज्यादा सुख-सुविधाएं प्राप्त कर इंसान अपने शरीर को रोगी बना लेता है। शांति की चाह में अशांति को पा लेते हैं।

जब मन अशांत हो तब कईं प्रकार की बिमारियां घिर आती हैं। अशांत मन से श्वास के ज़रिये ली गई प्राण शक्ति Cosmic energy की कमी या अधिकता हो जाती है, जिसके असंतुलन से शरीर बीमार पड़ जाता है। यकीनन इसकी कमी को पूरा कर और अधिकता को कम कर, अर्थात प्राण उर्जा को संतुलित कर प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ तथा निरोगी हो सकता है।

यह प्राण उर्जा पाँच तत्वों से मिलकर बनी है।

ये तत्व इस प्रकार हैं – जल, पृथ्वी, आकाश, वायु तथा अग्नि।

इन्हीं पाँच तत्वों से ही सारा ब्रह्माण्ड़ बना हुआ है और हमारा शरीर भी इन्हीं पाँच तत्वों से बना हुआ है। इन्हीं पाँच तत्वों को यदि शरीर में संतुलित कर दिया जाय तो निरोगी काया बना सकते हैं। कुदरत का करिष्मा कि भगवान ने ये पाँचो तत्वों की बागड़ोर हमारे हाथों की उंगलियों में दी है। ये पाँचो तत्व हमारे चक्रों से जुड़े हैं जो हमारे कईं अंग नियंत्रित करते हैं।

आधुनिक युग में आचार्य केशव देव जी ने मुद्रा चिकित्सा की महत्ता प्रतिपादित की। मुद्रा विज्ञान आयुर्वेद के तत्व विज्ञान पर आधारित है। हाथों की पाँचो उंगलियां पाँच तत्वों की प्रतिनिधित्व करती हैं।

कनिष्ठा ( Little Finger) जल तत्व – स्वाधिष्ठान चक्र

अनामिका ( Ring Finger ) पृथ्वी तत्व – मूलाधार चक्र

मध्यमा ( Middle Finger ) आकाश तत्व – विशुद्धि चक्र

तर्जनी ( Index Finger ) वायु तत्व – अनाहत चक्र

अंगुष्ठ ( Thumb ) अग्नि तत्व – मणिपुर चक्र

ये पाँचों तत्व, अग्नि आँखो को, वायु त्वचा को, आकाश कान को, पृथ्वी गंध को और जल सांसो को नियंत्रित करते हैं।

इन पाँचो उंगलियों में अंगूठा मंगल, तर्जनी बृहस्पति, मध्यमा शनि, अनामिका सुर्य और कनिष्ठ अंगुली चंद्रमा को दर्शाते हैं।

पाँचो अंगुलियों के द्वारा हजारों मुद्राएं बनाई जा सकती हैं और किसी भी प्रकार के मानसिक और शारीरिक रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। जिस हाथ से मुद्रा बनाते हैं शरीर के विपरीत भाग में उसका प्रभाव पड़ना शुरु हो जाता है।

हमारी प्रत्येक अंगुली तीन भागों में बंटी हुई है—शीर्ष भाग, मध्य भाग, मूल भाग। अंगुठे के शीर्ष भाग को किसी भी अंगुली के शीर्ष भाग मिलाने से तत्व सम हो जाता है। अंगुठे के शीर्ष भाग को अंगुली के मूल भाग से लगाने पर तत्व बढ़ जाता है और किसी भी अंगुली के शीर्ष भाग को अंगुठे के मूल भाग में लगा कर अंगुठे से अंगुली के मध्य भाग को हल्का दबाने पर तत्व घटने लगता है। ज़रुरत के अनुसार तत्व को घटा कर या बढ़ा कर या सम कर शरीर को स्वस्थ बनाया जा सकता है।