Hast Mudra

पृथ्वी मुद्रा/ सूर्य मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा अनामिका अंगुली ( Ring finger ) के शीर्ष भाग ( Tip ) को अंगुठे ( Thumb ) के शीर्ष भाग से मिलाने से बनती है। बाकी अंगुलियों को सीधा रखा जाता है।

इससे पृथ्वी तत्व बढ़ता है। अनामिका अंगुली पृथ्वी तत्व की प्रतीक है जो हमें स्थायित्व देता है। अनामिका तथा अंगुठा हमेशा विधुत प्रवाह करता है। इसलिए अंगुठे के साथ-साथ अनामिका से भी माथे पर तिलक किया जाता है। इसे 45 मिनट तक करने से उर्जा आ जाती है।

  • पृथ्वी मुद्रा करने से जीवन शक्ति का विस्तार होता है। कद एवं वजन बढ़ाने में सहायक है।
  • शरीर में तेज और स्फुर्ति आती है तथा चेहरे पर चमक आती है।
  • शरीर में उर्जा शक्ति बढ़ने से कार्य क्षमता बढ़ती है। विचारों में उदारता आती है।
  • पृथ्वी मुद्रा से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। शारीरिक दुर्बलता और मोटापा कम होता है तथा विटामिन, कैल्शियम, लौह तत्व तथा मैग्नीशियम की कमी को दूर करती है।
  • पृथ्वी मुद्रा से सर्दी-जुकाम से भी बचाव होता है।
  • पृथ्वी मुद्रा लगाने से शरीर सुन्दर होता है और रंग साफ होता है।
  • पृथ्वी मुद्रा उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिनमें खून की कमी (Anaemia) होती है।

सूर्य मुद्रा

अनामिका के शीर्ष को अंगुठे की जड़ में लगा कर अंगुठे की सहायता से अनामिका को हल्का दबाने से सूर्य मुद्रा बनती है। बाकी की अंगुलियां सीधी रखें। सूर्य मुद्रा पृथ्वी मुद्रा के विपरीत है।

सूर्य मुद्रा को सुबह-शाम 15-15 मिनट करनी चाहिए। ये मुद्रा गर्मी के मौसम में अधिक देर तक नहीं करनी चाहिए।

  • नाम के अनुसार इस मुद्रा में सूर्य की गर्मी का तेज होता है। ये मुद्रा हमें उर्जा और गर्मी प्रदान करती है।
  • सूर्य मुद्रा से अग्नि तत्व बढ़ता है जिससे सर्दी-जुकाम, कफ, अस्थमा, निमोनिया तथा सायनस के रोग दूर होते हैं।
  • सूर्य मुद्रा से आँखों की रोशनी तेज होती है, कोलोस्ट्रोल कम होता है, मोटापा और वजन कम होता है तथा थायरायड के रोग समाप्त होते हैं।
  • ये मुद्रा मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमन्द है। मानसिक तनाव दूर होता है तथा कब्ज ठीक होती है।

सर्दियों में बहुत सहायक है। खासकर उन लोगों के लिए जिन्हे ज्यादा सर्दी लगती है।