पहेलियाँ
- धोये बिन खा लो जी,
फिर तुम पछता लो जी।
ऐसी है ये चीज़ बेतुकी,
बताते हुए शरमा लो जी। धोखा
- धूप देखुं तो आ जाऊं,
छाया देख शरमा जाऊं,
हवा का स्पर्श पाते ही,
उसी में मैं समा जाऊं। पसीना
- सुख-दुख में साथ निभाती है,
कदम-कदम की साथी है।
इक पल भी जुदा न होती,
बस आकार बदलती जाती है। परछाई
- दो अक्षर का रत्न हूँ मैं,
उलटे से बन जाता राही।
धारण करो प्रेम से मुझको,
पर चखना न मुझे कभी। हीरा
- हर कोई देख इतराता है,रूप देख शरमाता है।
चाहे अच्छा-बुरा बताऊं,
फिर भी मुझे अपनाता है। दर्पण
- जेब में रहता हूँ हरदम,हर कोई मुझको जाने।
बात कराता दूर-दूर की,
हर कोई मुझको माने।
कोई मेरा नाम पुकारे,
तब गाता हूँ मैं गाने। मोबाईल