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बुजुर्गों का सम्मानजनक वास

अपने समाज में, अपने आसपास देखा गया है कि नौकरी-पेशा से निबट कर इंसान घर पर ही बैठ जाना पसन्द करते  हैं, ये सोच कर और कह कर कि हम तो अब बूढ़े हो गये हैं। सारा दिन घर पर खाली बैठे-बैठे बच्चों को अच्छा-बुरा समझाते रहते हैं और बच्चे इसे दखल-अंदाजी समझते हैं। जिससे उनकी दखल अन्दाज़ी सहन न करने के कारण बुजुर्गों का घर पर रहना बोझ लगने लगता है और घर में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

स्वयं को बूढ़ा मान कर घर पर बैठना बिल्कुल भी उचित नहीं है। क्योंकि स्वयं को बूढ़ा समझना ही स्वयं को बूढ़ा बना लेना है। शरीर वैसा ही हो जाता है जैसा दिमाग सोचता है। बुजुर्गो को चाहिए कि स्वयं को बूढ़ा समझ कर घर बैठने की अपेक्षा खुद को स्वस्थ रख कर सभी से खुशी-खुशी मिलते रहें। कुछ विचार जो आप अपनायें जिससे परिवार के सभी लोग अपने बुजुर्गों को इज्जत और प्यार दें सकें।

  • बुजुर्गों को घर के बच्चों और बहुओं के तौर तरीकों में दखल अंदाजी छोड कर उनको उनके तरीके से जीने की आज़ादी देनी चाहिए।
  • अखबार पढ़ना, तरह-तरह की पत्रिका पढ़ना आदत में लाना चाहिए जिससे समय भी अच्छा कटेगा और दुनियां भर की जानकारी भी मिलती रहेगी।
  • बहु के होने पर भी उस घर को अपना समझ कर छोटा-मोटा काम करना चाहिए जैसे—दूध लाना, सब्जी ले आना या बच्चों के साथ थोड़ी मस्ती करते रहना चाहिए।
  • अपने विचारों को बच्चों पर थोपने की अपेक्षा उनके विचारों सुनना और ज़रूरत के अनुसार प्यार से उन्हे समझाना चाहिए।
  • बच्चों की छोटी-छोटी खुशियों को याद रखना चाहिए और खुशियों में शामिल होना चाहिये।
  • बच्चों और बहुओं के अच्छे कामों की तारीफ करनी चाहिए और अच्छे कामों के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • यदि बुजुर्ग स्वयं को घर के सभी सदस्यों को प्यार और अपनापन देते हैं तो बुजुर्ग कभी भी बूढ़े नहीं होंगे।
  • केवल बुजुर्ग ही इन सभी बातों का ध्यान रखें तो सब कुछ ठीक रहेगा ऐसा नहीं है क्योंकि ताली दो हाथों से बजती है इसलिए घर के बच्चों को भी उतना ही सभी बातों का ध्यान रखना पडेगा।
  • जिस तरह बच्चे बचपन में अपने माता/पिता का कहना मानते थे उसी तरह बडे होने पर भी अपने बडों का कहना मानना चाहिए।
  • दुनिया गोल है जिस तरह माता/पिता अपने बच्चों को बडे लाड-प्यार से पालते है और उनका सहारा बनते हैं उसी तरह बच्चों का फर्ज है कि वो उनके बुढापे में उन्हें लाड-प्यार दें और उनका सहारा बनें।
  • घर के हर मामले में उनकी सलाह जरूर लें।
  • घर के बुजुर्गों को अपनी खुशियों में जरूर शामिल करें और उनकी छोटी-छोटी खुशियों को याद रखें।
  • व्यस्त होने के बावजूद भी प्रतिदिन घर के बडों के लिए समय जरूर निकालें। कुछ अपनी कहें और कुछ उनकी सुनें।
  • बडों की बातों को दखल-अंदाजी ना समझ कर उनका एक्सपीरियंसस का फायदा उठायें।
  • घर के बडों को पूरा मान-सम्मान दें।

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