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आलु बुखारा वाकई आलु बुखारा है

आलु बुखारा नाम से ही विदित है कि ऐसा आलु जो बुखार को खत्म करे। शरीर में किसी भी रोग की शुरुआत ज्वर लक्षण से ही होती है। जब शरीर में तीव्र रोग आते हैं तो इसका अर्थ होता है कि अब शरीर को सफाई व आराम की जरुरत है। सभी तीव्र रोगों की शुरुआत बुखार, जुकाम, खांसी आदि से होती है। बुखार यानि ज्वर एक लक्षण है जो अन्य तीव्र लक्षणों के रूप में प्रकट होता है जब तीव्र रोगों में तब्दील हो जाते हैं और जीर्ण रोग बढ़ते—बढ़ते असाध्य रोगों में बदल जाते हैं।

जुकाम पेट दर्द खाँसी तनाव
सिर दर्द ऐसीड़िटी अस्थमा अनिद्रा
साईनस गैसट्रिक ट्रबल निमोनिया ब्लड़प्रैशर
माईग्रेन मोटापा, अल्सर ह्रदय रोग  
  ज़ोडों व घुटनों में दर्द    

 

आलु बुखारा बेहद रोचक फल होता है। जब तीव्र रोगों की स्थिति में दो दिन तक आलु बुखारा खाया जाये तो शरीर की सफाई तेजी से होने लगती है और तीव्र रोगों का आक्रमण स्वत: ही दूर होने लगता है। शरीर की सफाई के दौरान शरीर के एंटीबॉड़ीज़ develop होने लगते हैं और रोग-प्रतिरोधक क्षमता में आशातीत वृद्धि होने लगती है।

आलुबुखारा कैल्शियम, मैगनिशियम, पौटाशियम, कॉपर, फाईबर और आयरन का बहुत अच्छा स्त्रोत है।

कैल्शियम फास्फोरस लोहा कार्बोज पौटाशियम नमी
87 मिग्रा 80 मिग्रा 70 मिग्रा 74.6 मिग्रा 190 मिग्रा 85.3 मिग्रा

 

  • आलु बुखारा में बैंज़ॉइक ऐसिड़ Benzoic Acid होने के कारण यह सीधे तौर पर स्नायु मण्ड़ल को प्रभावित करता है।
  • आलु बुखारा मस्तिष्क द्वारा स्त्रावित होने वाले हार्मोनों पर अपना प्रभाव छोड़ता है। चूंकि आलु बुखारा पाचन प्रभाव वाला होता है अत: यह मस्तिष्क के न्युरोट्रांसमीटर को सक्रिय कर मानसिक रोगों में लाभ पहुंचाता है।
  • आलु बुखारा में क्षार का अनुपात सार्वधिक होने के कारण इसका प्रयोग अकेले करना सर्वथा उचित है।
  • प्रोटीन और अनाजों के साथ इसका प्रयोग मूत्र संस्थान में तकलीफ पैदा करता है जब कि अकेले में इसका प्रयोग मूत्र वर्धक है।
  • आलु बुखारा गुर्दे व लीवर पर काम कर शरीर से निकलने वाले विजातीय तत्वों की मात्रा बढ़ा कर शरीर स्वस्थ व सुन्दर रखता है।
  • पौटाशियम की अच्छी मात्रा होने के कारण आलुबुखारा के सेवन से हार्ट अटैक का खतरा समाप्त हो जाता है।
  • आलुबुखारे में कईं तरह के विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं जिस कारण हमारे शरीर में विटामिन और मिनरल की पूर्ति होती रहती है।
  • आलुबुखारा में बीटा कैरोटिन अच्छी मात्रा में होने के कारण इसके सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है।
  • आलुबुखारा में फाईबर होने के कारण इसको खाने से पेट में भारीपन नहीं होता और आंतों को भी आराम मिलता है।
  • आलुबुखारा एंटी-कैंसर एजैंट है जो कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

Dr. Virendra Agarwal