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उफ बिस्तर गीला

बिस्‍तर गीला करना शिशुओं और छोटे बच्‍चों के बीच एक बहुत ही आम समस्‍या है। यह सोते समय अन्जाने में पेशाब करने की एक प्रक्रिया है। लेकिन छह साल की उम्र से ज्‍यादा उम्र के बच्‍चों का बिस्‍तर गीला करने पर निराशा होती है। बच्‍चे आलस्‍य या किसी उद्देश्‍य से ऐसा नहीं करते बल्कि अक्‍सर यह समस्‍या छोटे ब्‍लैडर, ब्‍लैडर परिपक्वता, अत्‍यधिक यूरिन उत्‍पादन, यूरीन मार्ग में संक्रमण, तनाव, पुरानी कब्‍ज और हार्मोंन असन्तुलन के कारण होता है। कुछ बच्‍चे डीप स्‍लीपर होते हैं, और उनके मस्तिष्‍क को ब्‍लैडर के भरे होने का संकेत नहीं मिलता है। इसके अलावा बहुत सारे मामलों में यह समस्‍या बच्‍चों को विरासत में मिलती है। अगर आप भी अपने बच्‍चे की इस समस्‍या से परेशान हैं तो आसान और सरल प्राकृतिक उपचार बिस्तर गीला रोकने में मदद कर सकते हैं।

  • बच्‍चों की बिस्‍तर गीला करने की आदत को रोकने के लिए दालचीनी सबसे सरल घरेलू उपचारों में से एक है। यह माना जाता है कि यह मसाला शरीर को गर्म रखता है। दालचीनी का एक छोटा सा टुकड़ा अपने बच्‍चे को दिन में एक बार चबाने के लिए दें या दालचीनी पाउडर और चीनी को मक्‍खन टोस्‍ट पर छिड़ककर बच्‍चे को नाश्‍ते में खाने के लिए दें।
  • आंवला बिस्‍तर को गीला करने से रोकने वाली एक उत्‍कृष्ट आयुर्वेदिक औषधि है। दो ताजा आंवले लेकर उसे अच्छी तरह से पीस लें। फिर इसमें एक चम्‍मच शहद और एक चुटकी हल्‍दी मिलायें। यह पेस्‍ट अपने बच्‍चे को हर सुबह एक चम्‍मच की मात्रा में खाने को दें।
  • क्रैनबैरी जूस ब्‍लैडर और यूरिन मार्ग के लिए अच्छा होता है। यह बिस्‍तर गीला करने वाले बच्‍चों के लिए बहुत मददगार होता है। हालांकि बिस्‍तर पर जाने से पहले तरल पदार्थों के सेवन से बचा जाना चाहिए लेकिन आप बिस्‍तर पर जाने से एक घंटा पहले अपने बच्‍चे को एक कप ताजा क्रैनबैरी जूस दे सकते हैं। कम से कम कुछ हफ्तों तक इस प्रक्रिया को करें।
  • अखरोट और किशमिश को भी बार-बार बिस्‍तर गीला करने की आदत को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कई बार अखरोट और किशमिश को नाश्ते मे खाया जाता है। लेकिन अगर बिस्‍तर पर जाने से पहले बच्‍चे को दो अखरोट और पांच किशमिश दें तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इस उपाय को कम से कम कुछ हफ्तों के लिए जरूर करना चाहिए।
  • रात को सोते समय शहद का सेवन करने से फायदा होता है।
  • रात को सोते समय दो दाने मुनक्का के बीज निकाल कर खिलाने से समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • एक छुआरा एक कप दूध में उबालें। पाँच मिनट तक उबलने दें जब छुआरा फूल जाए तब ये दूध बच्चे को पिलाने से पांच से सात दिनों में ही आराम आ जाता है।

नोट-: सकारात्मक परिणाम हेतु कोई भी उपाय कुछ दिनों तक लगातार करना चाहिए।