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यादों की बरसात – फ़िरोज़ खान

1939 में जन्मे फिरोज़ खान भारत के हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के एक्टर, फिल्म एडिटर, प्रोड्यूसर, और डायरैक्टर रहे है। अपने तड़क भड़क वाले स्टाइल के लिए इनकी सुनहरे परदे पर एक अलग ही पहचान थी, इनका एक अपना ही स्वैग था। मुँह में सिगार, सर पर काओ-बॉय हैट, यह सब अंदाज़ इन्हे दुसरे फिल्मी हीरों से अलग करते थे। डाकू वाली फिल्मों या एक ईस्टवुड का स्वाद बॉलीवुड की फिल्मों में कह सकते है इनकी बदौलत ही आया।

इनका जन्म भारत बैंगलोर, कर्नाटका ज़िले में हुआ। इनके पिता अफ़ग़ान के गजनी इलाके से आवागमन कर के भारत आए और माता पश्तों ओरिजिन की थी। इन्होने बैंगलोर के इंग्लिश स्कूल में अपनी पढ़ाई की और फिर फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई आ गए।

60 से 80 के दशक में यह 51 फिल्मों में दिखाई दिए और अपने स्टाइलिश अंदाज़ के लिए काफी जाने गए। फिल्म सफर, मेला, उपासना, खोटे सिक्के, काला सोना, धर्मात्मा, कुर्बानी इत्यादि फिल्मों के लिए बतौर हीरो यह काफी याद किए जाते हैं। इन्होने फिल्म निर्माता के रूप में भी काफी काम किया। क़ुर्बानी, जां-बाज़, दयावान, मीत मेरे मन का, यलगार और फिर 2007 में आयी फिल्म वैलकम में भी इन्होने काम किया। 1970 में इन्हे फिल्म-फेयर बैस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए एवॉर्ड दिया गया। सन 2000 में इन्हे फिल्म-फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट एवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

फिरोज़ खान के बेटे फरदीन खान को हम हिंदी सिनेमा में बतौर एक्टर जानते हैं। इनके भाई संजय खान भी फिल्मों में एक्टर रहे हैं। 1974 में इन्होने पंजाबी फिल्म भगत धन्ना जट में काम किया। इन्होने 1962 में सिम्मी ग्रेवाल के साथ इंग्लिश फिल्म में भी काम किया पर इनकी 1965 में जा कर पहली फिल्म हिट हुई। फिल्म धर्मात्मा जो इंग्लिश फिल्म गॉड-फादर से प्रेरित थी एक ब्लॉकबस्टर रही। फ़िरोज़ खान जी ने न ही सिर्फ इसे प्रोड़्यूस, डायरैक्ट किया बल्कि इस फिल्म में हेमा मालिनी को नए अवतार में दिखा उनके साथ हीरो का काम भी किया।

फिल्म क़ुर्बानी इनके करियर की सबसे बड़ी हिट रही और इसी फिल्म के ज़रिये इन्होने पाकिस्तानी पॉप सिंगर नाज़िआ हसन को भी लांच किया जिन्होंने ‘आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये’ जैसा हिट गाना दिया। यलगार फिल्म में बतौर निर्माता और बतौर एक्टर काम करने के बाद इन्होने एक 11 साल के लम्बे समय तक फ़िल्मी दुनिया से ब्रेक ले लिया। 1998 में इन्होंने अपने बेटे फरदीन खान को फिल्म ‘प्रेम अगन’ से लांच किया जो बहुत बड़ी फ्लॉप रही। एक बार फिर इन्होने बतौर प्रोड़्यूसर डायरेक्टर फिल्म जां-नशीन से फिल्मी दुनिया में वापिस कदम रखा और साथ ही बेटे फरदीन को फिल्म में काम भी दिया। फिरोज़ खान जी को फिल्मों में चिंपांज़ी, शेर इत्यादि जानवरों को भी लांच करने का शौंक रहा। 2006 में यह पाकिस्तान में राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ द्वारा बैन कर दिए गए क्योंकि इन्होंने अपनी पाकिस्तान विजिट के दौरान टिप्पणी कर दी कि वह अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस करते हैं और भारत धर्म निरपेक्ष देश है। भारत के मुसलमानों ने काफी तरक्की की है जबकि पाकिस्तान के मुसलमान इस्लाम के नाम के बावजूद मुसलमानों को ही मार रहे हैं। जिसके बाद पाकिस्तान के लिए इनका वीज़ा बंद कर दिया गया और इन पर इल्ज़ाम लगाया गया कि इन्होंने शराब पी कर पाकिस्तानी गायिका की बेइज़्ज़ती की है।

2007 में फिल्म वैलकम में इन्हें आखिरी बार देखा गया और फिर 2009 में इनका फेफड़ों में कैंसर की वजह से मौत हो गई। अपनी बीमारी के दौरान यह अपने बैंगलोर के फार्म हाउस पर आराम करने के लिए आ गए और मरने के बाद इन्हें इनकी माता जी की कब्र के पास ही दफनाया गया।

मनीषा मनमौजी