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हाय रे ये गुस्सा

गुस्सा एक ऐसी क्रिया है जो सोच समझ कर नहीं की जाती बल्कि किसी अंदरूनी भावना की प्रतिक्रिया होती है। यही भावनाएं हमें कमज़ोर और लाचार महसूस करवाती हैं। गुस्सा किसी घटना की प्रतिक्रिया भी हो सकता है। उस समय थोड़ी सी राहत मिलती है परन्तु बाद में नकरात्मक परिणाम सामने आते हैं। थोड़ा सा गुस्सा हमें सकारत्मक ढ़ंग से काम करने की प्रेरणा दे सकता है। ज्यादा गुस्सा हमारी सोच को जकड़ लेता है, जिसकी कीमत हमें बाद में चुकानी पड़ती है।

बहुत सी ऐसी प्रतिक्रिया हैं जो गुस्सा होने की सम्भावना को बढ़ा देती है। कारण- घर के आस पास के माहोल में ही होते हैं जैसे हिंसक माहोल, घर में संसाधनों की कमी, परिवार से सहयोग और परामर्श की कमी आदि। हिंसक फिल्में और वीडीयो गेम्स जिससे व्यक्ति, वर्चुअल ज़िन्दगी को असल ज़िन्दगी का हिस्सा समझने लगते हैं।

जिन घरों में मार पिटाई का माहोल रहता है या पास पड़ोस में मार पीट होती है या फिर परिवार किसी कारणवश टूट जाता है, ऐसे परिवार के बच्चों में ज्यादा गुस्सा होने की सम्भावना बढ़ जाती है। घर में मौज़ूद अस्त्र-शस्त्र भी बच्चों को हिंसा की ओर ले जाते हैं। और ऐसे बच्चे, परिपक्व होने के बावज़ूद भी गुस्से पर नियन्त्रण नहीं कर पाते और अक्सर छोटी- छोटी बात पर उत्तेजित हो जाते हैं और झगड़ा करते हैं।

नदी किनारे दो व्यक्ति घूम रहे थे। दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद बढ़ते-बढ़ते दोनों में गाली-गलोच होने लगी, बात बिगड़ने लगी, गुस्सा गहराने लगा तो एक व्यक्ति ने पत्थर उठा कर दूसरे के सिर पर दे मारा, दूसरा व्यक्ति वहीं ढ़ेर हो गया। जब इस व्यक्ति को कोर्ट में ले जाकर जज ने पूछा कि तुमने उसकी हत्या क्यों की? तो वह व्यक्ति बोला—‘साहब मुझे पता ही नहीं चला कि उसकी हत्या हो गई, मैं गुस्से में था अत: यह सब गुस्से में हो गया, मुझे नहीं मालूम कि ये सब कैसे हो गया’।

हर इंसान का गुस्सा प्रगट करने का तरीका अलग-अलग होता है, पर कुछ लोग गुस्सा आने पर चुपचाप बैठ जाते हैं, किसी से बात करना पसन्द नहीं करते और कुछ चीखते चिल्लाते हैं और दूसरों को कोसते हैं। कुछ लोग किसी अपने पर अपना गुस्सा दिखाते हैं जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग सोचते हैं कि गुस्सा दिलाने वाले को, किसी भी तरह सबक सिखाने का हक रखते हैं।

जब गुस्सा आने लगता है तो मन की उर्जा सिर्फ एक प्रवाह में घूमना शुरु हो जाती है, इस प्रवाह में आत्म सयमं बिल्कुल खो जाता है। क्योंकि आत्म सयमं के पास उर्जा नहीं होती, अत: व्यक्ति गुस्से के समय अपना आपा खो देता है। यदि प्रतिदिन के अभ्यास में आत्म सयमं, विवेक को थोड़ी-थोड़ी उर्जा देना शुरु कर दें तो  गुस्से के समय आत्म सयमं काम करेगा क्योंकि उसके पास उर्जा है। यदि उर्जा नहीं है तो वह उर्जा को लेना जानता है, इसके लिए कुछ बिन्दुओं को अपनाकर आत्म सयंम बढ़ाया जा सकता है।

  • जब भी कहीं आप बात कर रहे हैं तो थोड़ा प्रयास करें कि कम बोलें-सिर्फ सुनें।
  • अपनी बात को सबसे बाद में रखें, पहले ओरों को अपनी बात रखनें दें।
  • किसी कार्य को करने से पूर्व उसकी प्लानिंग करें।
  • रात को सोने से पहले स्टैप बॉय स्टैप दिन भर की घटनाओं को दोहाराएं।
  • खाना खाते समय एक ग्रास को 10-15 बार चबाएं।
  • बोलने से पहले थोड़ा सोच लें कि इसका क्या परिणाम होगा।

आपको प्रमाणित ही करना होगा कि आपका मन आपके वश में है, यदि आपके साथ ऐसा नहीं है तो आपका शिक्षित होना बेकार है। अपने निश्चय पर दृढ़ होना अच्छी बात है किंतु दूसरे के मन को शांति से सुनना व समझने की कोशिश करना श्रेष्ठ गुण है।

यदि थोड़ा ध्यान रखा जाय तो इंसान स्वयं ही अपने गुस्से पर काबू पा सकता है।

हँसी मज़ाक बहुत बड़ा स्ट्रैस बस्टर है। आपसी व्यवहार में किया गया हँसी मज़ाक ही गुस्से पर काबू पा लेता है। बस ज़रूरत है, उसमे शामिल होने की।

किसी से बातचीत करके मन का गुब्बार निकाला जा सकता है। दोस्तों सहयोगियों से घुल मिल कर बातें करने की आदत ड़ालें। यदि कोई बात बहुत परेशान कर रही है तो दोस्तों के साथ बांटे। गुस्सा आने पर एक गिलास ठण्डा पानी पियें, ध्यान परिवर्तन करने के लिये खुद को किसी कार्य में व्यस्त करके अपना मन पसन्द काम करें, स्थान परिवर्तन करें और गहरे सांस लेते हुये मन को शान्त करें।

  • यदि गुस्सा आता है तो हमेशा उलटी गिनती करनी चाहिए। इससे चित शांत हो जाता है।
  • गुस्से में अक्सर बल्ड प्रेशर बढने लगता है इसलिए अपने-आप को शांत करने के लिए गहरे सांस लेने शुरु कर दें। गहरे सांस लेने से बल्ड प्रेशर सामन्य हो जाता है।
  • जब कभी भी गुस्सा आए तब हंसना शुरु कर देना चाहिए। इससे गुस्सा भाग जाता है। लॉफ्टर थैरेपी बहुत ही कारगर उपाय है गुस्सा शांत करने का।
  • गुस्सा आते ही आजकल के माड्रन जमाने में सेल्फी खींचे। खुद की गुस्से वाली फोटो देखते ही गुस्सा छुमंतर हो जायेगा।
  • किसी ने सही कहा है कि आप जिस व्यक्ति से गुस्सा हैं वो आपके लिए कुछ अहमियत रखता है या नहीं। यदि नहीं तो किसी बेगाने के लिए गुस्सा किस बात का। और यदि हाँ तो गुस्सा किस बात का वो तो आपकी जिंदगी का अहम है।

 

यदि आप छोटी- छोटी बात पर गुस्सा होते हैं और गुस्से पर नियन्त्रण जल्दी नहीं कर पाते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और ऐंगर थैरेपी (Anger Therapy) का सहारा लें।