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“एक पंथ दो काज” सेहतमन्द रहेगें, जब करेगें घर के कामकाज

‘एक पंथ दो काज’ जी हां! घर का काम कीजिए और सेहतमन्द रहिए। यदि आप अपने घर का काम स्वयं करते हैं जैसे साफ-सफाई, (झाडु-पोचा या वैक्युम) दरवाजे-खिडकियों की सफाई, बर्तन, खाना बनाना या कपडे धोना आदि तो समझिये कि आप स्वस्थ हैं।

पुरुष बागवानी के शोकीन बागवानी कर सकते हैं। सप्ताह में एक बार अपनी कार स्वयं धो सकते हैं। पश्चिमी देशों में रहने वाले लोग लोन मोविंग (Lawn moving)  स्वयं कर सकते हैं। गृहिणी अपने परिवार के लिए निष्भाव से घर का सारा काम करती है और अंजाने में ही अपनी सेहत बरकरार रखती है। घर का काम करते हुए बाजुओं पर भी जोर पडता है, साफ-सफाई करने से एकाग्रता बढ़ती है और स्वच्छ घर मन और आत्मा को भी स्वच्छ करता है।

काम न करने वालों की बजाय काम करने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। आप का वजन बेशक न घटे परंतु सेहतमन्द रहेगीं। डाक्टरों के अनुसार एक घंटा घर का काम करने से 225 कैलरीज़ खर्च होती हैं। इसलिए बच्चों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे अपना बिस्तर खुद ठीक करें, अपना सामान खुद सम्भालें व दूसरे कामों में भी मदद करें। इससे बच्चे सीखते भी हैं और स्वस्थ भी रहते हैं। एक घंटा घर का काम पांच किलो मीटर की सैर के बराबर है।    इसके मायने ये है कि आपने नोकर रखने के पैसे भी बचाए और डाक्टर के खर्चे भी। घर का काम भी हो जाता है और सेहत भी ठीक रहती है। डाक्टरों द्वारा घरेलु कामकाज करने को डिप्रेशन तनाव से उबरने का कारागर उपाय बताया गया है। कामकाज के दौरान महिलाएं उदासी, दिमागी दबाव एवं परेशानी को बहुत पीछे छोड देती हैं। सेहत बनाए रखने का ये सबसे सस्ता और आसान तरीका है।